
म्यूरल आर्ट का आधुनिक भारत में महत्व
भारत अपनी समृद्ध संस्कृति, जीवंत कला और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इन कलाओं में से एक है म्यूरल आर्ट, यानी दीवारों पर बनाई जाने वाली भित्ति चित्रकारी। अब यह कला सिर्फ पुरानी हवेलियों या मंदिरों तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि आधुनिक शहरों की गलियों, मेट्रो स्टेशनों और सार्वजनिक स्थानों को भी सजाने लगी है। भारत में म्यूरल आर्ट आज पर्यटन और कला प्रेमियों के लिए एक नया आकर्षण बन चुकी है।
देश के कई शहरों में यह कला अलग-अलग रूपों में देखने को मिलती है। दिल्ली के लोधी आर्ट डिस्ट्रिक्ट में रंग-बिरंगे स्ट्रीट म्यूरल्स ने शहर की सड़कों को एक खुली गैलरी में बदल दिया है। वहीं मुंबई की गलियों में बॉलीवुड, समुद्री जीवन और स्थानीय संस्कृति पर आधारित म्यूरल लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।
राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र की हवेलियों में बने पारंपरिक फ्रेस्को म्यूरल भी अपनी अलग पहचान रखते हैं। इन चित्रों में राजस्थानी जीवन, इतिहास और लोककथाएँ जीवंत होकर सामने आती हैं।
भारत के प्रमुख म्यूरल डेस्टिनेशन और पर्यटन आकर्षण
दक्षिण भारत में फोर्ट कोच्चि की गलियों और दीवारों पर आधुनिक और पारंपरिक म्यूरल का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलता है। कोच्चि-मुज़िरिस बिएनाले के चलते यह क्षेत्र अब अंतरराष्ट्रीय कला प्रेमियों के लिए खास बन गया है।
पूर्वी भारत में कोलकाता और वाराणसी की दीवारों पर सामाजिक संदेश, धार्मिक कथाएँ और सांस्कृतिक प्रतीक उकेरे जाते हैं। वाराणसी के घाटों पर बने म्यूरल्स गंगा के किनारे चलते हुए पर्यटकों के मन को मोह लेते हैं और आध्यात्मिक अनुभव देते हैं।
इसके अलावा हिमालयी क्षेत्रों और लद्दाख में बौद्ध मठों की दीवारें सदियों से भित्ति चित्रों से सजाई जाती रही हैं। इन म्यूरल्स में धार्मिक कथाएँ और दर्शनिक विचार बारीकी से उकेरे गए हैं।
आज म्यूरल आर्ट केवल सजावट नहीं बल्कि शहरों की पहचान और पर्यटन का अहम हिस्सा बन गई है। लोग इन रंगीन दीवारों को देखने, फोटोग्राफी करने और सोशल मीडिया पर साझा करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। भारत में म्यूरल आर्ट ने अपने रंगों और कहानियों से देश की गलियों, हवेलियों और सार्वजनिक जगहों को एक नया जीवन दिया है।
